Not known Facts About sidh kunjika
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति प्रथमोऽध्यायः
गोपनीयं प्रयत्नेन स्वयोनिरिव पार्वति।
न सूक्तं नापि ध्यानं च, न न्यासो न च वार्चनम्।।
अभक्ते नैव दातव्यं गोपितं रक्ष पार्वति।।
देवी माहात्म्यं चामुंडेश्वरी मंगलम्
ओं ग्लौं हुं क्लीं जूं सः ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल
श्री अन्नपूर्णा अष्टोत्तरशत नाम्स्तोत्रम्
श्री सरस्वती अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्
इदंतु कुंजिकास्तोत्रं मंत्रजागर्तिहेतवे।
धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु click here कुरु स्वाहा॥
छठ की व्यापकता में पोखर तालाब से टूटता नाता
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देवी माहात्म्यं दुर्गा द्वात्रिंशन्नामावलि
दकारादि दुर्गा अष्टोत्तर शत नामावलि